सोमवार, जून 10, 2024

मनहूस दिन

सच में , 
कल का दिन ,
बहुत ही ,
मनहूस दिन। 

रविवार, जून 09, 2024

कोशिश तो पूरी है

 कोशिश तो पूरी है,
तुमसे दूर जाने की।
कोशिश तो पूरी है,
अब तुम्हे भुलाने की।
कोशिश तो पूरी है,
भावना को दबाने की,
कोशिश तो पूरी है,
पत्थर हो जाने की।
कोशिश तो पूरी है,
तुमसे विमुख हो जाने की।
कोशिश तो पूरी है,
मन को समझाने की।
कोशिश तो पूरी है,
कोशिश पूरी कर जानें की,l।


पीछा छुड़ाने की बात करते हो,
दिल जलाने की बात करते हो,
पास तुम्हारे कतरा तक नही,
और मैखाने की बात करते हो। 
अपनी भावनाओं से लड़ रहा था,
इसलिए मन बिगड़ रहा था,
अब मैंने इच्छा को स्वीकार किया है,
इसलिए अब सब लग रहा बढ़िया है। 

शायद पता नहीं

 कभी सोचता हूं,
तुझे भी मुझसे महब्बत है,
फिर लगता है
शायद पता नहीं।
कभी सोचता हूं,
तुझे भी मेरी जरूरत है,
फिर लगता है,
शायद पता नही।
कभी उम्मीद करता हूं,
तेरे मेरे दरम्यान फासला मिट जाएगा,
फिर लगता है,
शायद पता नही।
कभी सोचता हूं,
तेरे मेरे बीच कुछ तो है,
फिर लगता है,
शायद पता नहीं।
कभी कुछ सोचता हूं,
कभी कुछ,
मुझे तुम्हारे लिए क्या सोचना चाहिए,
शायद पता नही।
कुछ तो है तेरे मेरे दरमियां,
जो टूटता नही,
कुछ तो है, जो तेरा हाथ,
मुझसे छूटता नही।
ऐसा नहीं,
कभी कोशिश की नही,,
मैंने तुझसे दूर जाने की,
पर हर बार,
हर कोशिश रही बेकार,
मुझे लौट कर आना ही पड़ा।

बिखरा बिखरा मन

कल लगा,
बस अब टूट जाएगा,
यह जो भी,
तेरे मेरे बीच में हैं।
कल लगा,
बस अब छूट जाएगा,
यह तो तेरा साथ,
मेरे साथ में हैं।
कल लगा तो सही,
और
इतनी जोर से लगा,
कि,
पूरा दिन मन
बिखरा बिखरा सा रहा। 

रविवार, जून 02, 2024

क्या ही हो जाता

जो है,
वो बुरा तो नहीं,
पर तुम होती,
तो जाने क्या ही हो जाता।

जो मिला,
वो कम तो नही,,
पर तुम मिल जाती,
तो जाने क्या ही हो `जाता।

तुम वो तृष्णा हो,
जो पूरी हो नही सकती,
पर काश हो जाती,
तो जाने क्या ही हो जाता।
 

हासिल

कितना खुशकिस्मत हूं मैं,
कि तुम मुझे हासिल हो,
बस इतनी सी,
इल्तजा है तुमसे,
बस थोड़ी और
हासिल होती रहना।
आज थोड़ी सी और ,
कल ,
थोड़ी और ज्यादा,
परसों ,
थोड़ी और ज्यादा,
बस इसी तरह,
लम्हा दर लम्हा ,
थोड़ी और ज्यादा ,
हासिल होती रहना,
जब तक,
पूरी तरह
मेरी ना हो जाओ।

 

शनिवार, जून 01, 2024

काश...


मेरे उम्र भर की कमाई  ,

चंद काश ,

के सिवाय कुछ भी तो नहीं। 

काश ,

मैं तुझसे मिला ही नहीं होता , 

काश ,

मिला तो चलो ठीक,

फिर जुदा  नहीं हुआ होता। 

काश,

जुदा तो हुआ ,

पूरी तरह जुदा हो गया होता | 

काश,

अलग होने का,

थोड़ा सदमा तुझे भी होता। 

काश ,

यह कदम उठाने से पहले,

थोड़ा तो तूने सोचा होता। 

काश,

तेरा गम मेरा इतना साथ देगा,

थोड़ा तो मुझे पता होता। 

... 

... 

... 

काश,

एक बार ही सही ,

मैं तुझसे मिल सकता।  

काश,

थोड़ा सा ही सही,

तू मेरा दर्द देख पाती। 

काश,

मैं भी तेरी तरह ,

थोड़ा practical बन पाया होता। 

काश.

......................  






 

शनिवार, मई 25, 2024

फिर सोचता हूं

एक बार फिर,
तुमसे कहूं,
अपने दिल की
हसरतों के बारे में
फिर सोचता हूं,
कि जाने दे।

एक बार फिर,
कोशिश करके,
तुम्हे अपनी आरजू,
बयान कर सकूं,
फिर सोचता हूं,
कि जाने दे। 

शायद तुम समझे
ही नहीं
एक बार फिर,
कोशिश करूं
तुम्हे समझाने की,
फिर सोचता हूं,
कि जाने दे।

सोचता हूं,
ना जानें मैं
क्या क्या,
कि काश,
कुछ तो जादू हो ही जाता,
फिर सोचता हूं,
कि जाने दे।

सोचता हूं,
मिन्नत करके,
ज़िद करके ,
शायद तुझे,
मना सकता था,
फिर सोचता हूं,
कि जाने दे।

भावनाओं के दुई पाटों में,
भावनाओं की ही लग गई वाट,
दिमाग का दही हो गई,
दिल की खड़ी हो गई खाट।

हमेशा रहेगा

माना,
तुमसे यह मेरा प्यार,
बेमतलब है,
बेवजह है,
बेनतीजा है,
तकलीफदेह है,
फिजूल है,
फर्जी है,
पर अब है तो है,
और शायद,
हमेशा रहेगा।

बड़ी देर कर दी मेहरबान आते आते


कुछ इस तरह,
उम्र भर,

अपने दिल को बहलाता रहा,
क्या थे वो,
और क्या मैं बनाता रहा।
बाद मुद्दत,
दिल को होश आया,
तो बस दिमाग ने यही कहा,
बड़ी देर कर दी मेहरबान आते आते।

गुरुवार, मई 23, 2024

तुम्हारी जरूरत ही क्या है

वैसे तो , 

तुम्हारे लिए तड़पता हूँ मैं , 

फिर सोचता हूँ ,

अब ,

तुम्हारी जरूरत ही क्या है ?


वैसे तो ,

बस एक बार मिलना चाहता हूँ मैं , 

फिर सोचता हूँ , 

अब ,

मुलाक़ात की जरूरत ही क्या है ?


वैसे तो ,

तुम्हे अकसर याद करता हूँ मैं ,

फिर सोचता हूँ,

अब ,

इस याद की जरूरत ही क्या है ?


वैसे तो ,

अब तुम मेरे कुछ भी नहीं ,

फिर सोचता हूँ ,

अब 

इस एहसास की जरूरत ही क्या है ?



यह जरूरी तो नहीं

 जिसकी तुम्हे जरूरत हो , 

उसे भी तुम्हारी जरूरत हो ,

यह जरूरी तो नहीं। 


जिससे तुम्हे मोहबत्त हो , 

उसे भी तुमसे मोहबत्त हो , 

यह जरूरी तो नहीं।  


जो तुम्हारे लिए खुदा हो जाए , 

उस दिल में भी यह रहमत हो , 

यह जरूरी तो नहीं।  


जिसका दीदार एक रूहानी एहसास हो  जाए,

उसे तुम्हारी तरफ देखने की भी जहमत हो , 

यह जरूरी तो नहीं।  


तुमसे तो हम दिल लगा चुके,

अब तुमको भी मुझसे लगावत हो , 

यह जरूरी तो नहीं।  


रविवार, मार्च 31, 2024

दे सकोगी?


तुमसे मोहब्बत करने के बाद समझ आया,
तुम मेरा वर्तमान नही हो पाओगी,
और शायद मैं तुम्हारा भविष्य ।
खैर,
अब इन सब एहसासों को,
मन से विदा करते हुए,
अब,
ना तो मुझे तुम्हारा मन चाहिए,
ना ही तुम्हारा तन चाहिए,
पर,
जो तुम मेरा ले चुकी हो,
कभी वापिस दे सकोगी,
बोलो,
दे सकोगी?

कर बैठे

जो कभी कहीं थी ही नहीं,

उस पर ऐतबार क्यों कर बैठे,

इस उम्र में,

उस उम्र से प्यार क्यों कर बैठे।


चाहत मेरी सच्ची थी,

पर हसरत ही झूठी निकली,

अब सोचता हूं,

क्या करना था, और क्या कर बैठे।


शिकायत तुमसे कुछ भी नही,

बस गिला इतना सा है,

समझदारी वाली उम्र में,

यह नादानी हम क्यों कर बैठे।


तकलीफ थोड़ी सी तो है,

फिर भी यही अच्छा है,

अच्छा है यह दिल समय रहते,

हकीकत से मुलाकात कर बैठे।


सच्चा था


तुझसे दूर जाते हुए,

यह तकलीफ जो मुझे हो रही है,

माने,

मेरी भावना ,

सच्ची भी थी,

और पक्की भी।

तुझसे मोह की गांठों को सुलझाते हुए,

यह मन मेरा जो बिखर रहा है,

माने,

तुझसे जुड़ाव,

सच्चा भी था,

और पक्का भी।

पिछली मुलाकात को आखिरी बोलते हुए,

यह मन मेरा जो बिलख रहा है,

माने,

मेरा प्यार,

सच्चा भी था,

और पक्का भी।

शनिवार, मार्च 30, 2024

सोचता हूं

सोचता हूं ,
मैं कौन हूं तेरा,
शायद कोई भी तो नहीं।
सोचता हूं,
क्यों इंतजार तेरा,
कहीं बेवजह ही तो नहीं।
सोचता हूं,
अब आगे क्या,
शायद कुछ भी तो नहीं।
सोचता हू,
और मुझे हासिल क्या,
शायद कुछ भी तो नहीं।

गुरुवार, मार्च 21, 2024

तुझसे पहले कोई नहीं था,

तेरे बाद भी कोई नही होता,

तो क्या होता।


बदकिस्मती से दिल,

तेरे गम में फंस गया क्यों कर,

अगर ना होता यह दर्द,

जाने मैं क्या होता।


तेरे जाने से कैसा गिला,

तुझसे अब भला शिकायत कैसी,

जिसे चले ही जाना था,

वो क्यों कर साथ रहा होता।


किसी एक गम से मिलना लिखा था,

शायद मेरी किस्मत में,

यह दर्द नहीं मिलता भी,

तो कुछ और दर्द मुझे मिला होता।

क्या होता...

तुझसे पहले कोई नहीं था,

तेरे बाद भी कोई नही होता,

तो क्या होता।


बदकिस्मती से दिल,

तेरे गम में फंस गया क्यों कर,

अगर ना होता यह दर्द,

जाने मैं क्या होता।


तेरे जाने से कैसा गिला,

तुझसे अब भला शिकायत कैसी,

जिसे चले ही जाना था,

वो क्यों कर साथ रहा होता।


किसी एक गम से मिलना लिखा था,

शायद मेरी किस्मत में,

यह दर्द नहीं मिलता भी,

तो कोई और दर्द मिला होता।

गुरुवार, मार्च 07, 2024


तुम मेरी एक नासमझ सी हसरत बन गए थे,
फिर हुआ यूं कुछ ऐसा कि तुम समझदार हो गए ।

मेरा तुमसे इश्क कुछ बेखबर सा था,
फिर हुआ यूं कुछ ऐसा कि तुम खबरदार हो गए ।

मैं एक मूरख तुम्हारी हर बात पर ऐतबार कर बैठा,
फिर हुआ यूं कुछ ऐसा कि तुम होशियार हो गए।

तुम्हारे लिए दिल की धड़कनों का ताना बुना था,
फिर हुआ यूं कुछ ऐसा तुम मेरी धड़कन को ही दुश्वार हो गए।

सोमवार, जनवरी 15, 2024

हालांकि ,
अब हालात बेहतर हैं ,
पर तेरी कमी आज भी है ,
तेरे जाने का  अफसोस आज भी है।  
हालांकि,
मौहब्बत ने मेरे दिल का 
रास्ता ढूंढ ही लिया,
किसी को मुझसे ,
मुझे किसी से , 
थोड़ा लगाव तो हुआ है , 
पर कभी कभी ,
तेरे नाम के चंद  आंसूं ,
आँखें छलका ही देती हैं।  
मैं मुहं छुपा कर कभी कभी ,
रो  कर अपने दर्द पर ,
पानी बहाने की कोशिश करता हूँ। . 
हालांकि ,
इन बातों का अब कोई मतलब ही नहीं ,
यह जो भी है, 
एक तरफ़ा हैं , बे मतलब सा हैं ,
तू  इन सब तकलीफों से कब की आजाद हो चुकी हैं ,
यह सजा बस मेरे हिस्से में आयी है ,
और  जानता हूँ मैं , 
तुझे कुछ कहना अब मुमकिन ही नहीं ,
पर 
फिर भी ........ 




 ना जाने,
कब तन से होकर,
में तुम्हारे मन तक पहुंचा था,
या फिर,
यह सफर
मन से होकर तन तक था
जो भी था,
तन मिला,
और अलग हो गया।
पर मन एक बार जो उलझा,
फिर उलझा ही रह गया।
कभी थोड़ी,
कभी ज्यादा,
उलझन तो हमेशा ही थी।

तुमको
शर्मिंदगी है,
मेरे साथ बिताए लम्हों से,
तुमको
शिकायत है,
उन लम्हों से आखिर ,
तुमने पाया क्या?
पर मैंने भी तो,
उन लम्हों से बस ,
उन लम्हों को ही पाया था।

खैर
जो गुजर गया,
वो गुजर चुका।
अब
बाकी कुछ भी तो नही,
बस चंद यादें हैं,
जो कभी गुदगुदाती हैं,
तो कभी रुलाती हैं।
तुम,
उन लम्हों से मुंह मोड़ सकती हो,
आगे बढ़ कर, उन्हें पीछे छोड़ सकती हो,
मेरे लिए तो,
उनको छोड़
आगे बढ़ जाना मुमकिन ही नही।


अकसर,
दिल को मेरे चुभता है,
बार बार बस यही,
जितनी खास तू मेरे लिए है,
उतना खास,
तेरे लिए मैं नही।
खैर यही सही,
तो यही ही सही, ।

रविवार, अप्रैल 30, 2023

तेरी कमी आज भी है ,

आँख में नमी आज भी है

अब है तो है। 


गुरुवार, मार्च 16, 2023

अगर तुम इजाजत दो...

अगर तुम इजाजत दो,

थोड़ा सा बदल जाऊं मैं,

तुम्हे चूम कर,

थोड़ा सा पिघल जाऊं मैं ।


अगर तुम इजाजत दो,

तुम्हे थोड़ा सा अपना बना लूं मैं,

तुम्हारे दिल में,

अपनी धड़कन सजा लूं मैं।


अगर तुम इजाजत दो,

थोड़ा सा बहक जाऊं मैं,

अपनी किसी हद से,

थोड़ा सा गुजर जाऊं मैं।


अगर तुम इजाजत दो

थोड़ा सा,

खुद में तुम्हे समेट कर,

थोड़ा सा,

बिखर जाऊं मैं।


बोलो,

तुम्हारी इजाजत है क्या?


मंगलवार, मार्च 14, 2023

चाहता हूं

 तुम्हारा साथ मुझे खुशी देता है,

मेरे होठों को हंसी देता है।



अगर बुरा ना मानो,

तो कुछ कहना चाहता हूं,

तुम्हारा हाथ थामे थामे,

देर तक, दूर तक घूमना चाहता हूं।

तुम्हे सीने से लगा कर,

तुम्हे चूमना चाहता हूं।

और क्या कहूं,

मेरे दिल की तुम्हारे लिए हसरतें,

कितना कुछ कहना है मुझे,

और मैं खामोश रहना चाहता हूं।

शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2023

 जब भी,

तुम पर ,

बहुत प्यार आता है,

मन बहुत ही

 असहाय हो जाता है।

 इसको बतलाने के लिए,

 मेरे पास केवल शब्द ही तो हैं।

 और

 कहां से लाऊं ऐसे शब्द

 जो हो इतने शक्त,

 कि कर सके मेरी

 भावना व्यक्त।

 काश 

 काश मेरा प्यार शब्दों की 

 सीमा में ना बंधा होता।

सोमवार, दिसंबर 05, 2022

वो तेरे प्यार का गम

 वो तेरे प्यार का गम , 

तो  एक बहाना था सनम , 

अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी ही थी  , 

कि दिल टूट गया।  

 जब भी यह गाना सुनता हूँ , तो लगता है जैसे मेरे लिए ही है।  उसके जाने की तकलीफ तो बहुत है पर अगर वो नहीं भी जाती तो भी कोई ना कोई और तकलीफ  तो होती ही। 

 मेरी तकलीफ , मेरे दर्द  की वजह मेरी किस्मत है, उसका होना या ना होना तो बस एक जरिया ही है किसी दर्द को महसूस करने का। वैसे भी अब उसकी शक्ल तक तो याद नही, बस कुछ गिनी चुनी यादें ही बाकी हैं, समझ ही नही आता कि मैं क्या miss करता हूं और क्यों ? 

वैसे भी जिंदगी में एक भी जरूरत ऐसी नही जो उसके बिना पूरी ना हुई हो, पर फिर भी उसकी कमी महसूस होती रहती है , पर क्यों बस इस बात का अंदाजा ही नही लगता।

 वैसे भी अगर वो साथ भी होती तो  भी मैंने दुखी ही रहना था। पर  तब शायद कारण कोई और हो जाता । आजकल डिप्रेशन की दवाई खा रहा हूँ , अगर वो होती तो शायद diabetes की दवाई खा रहा होता , पर दवाई  तो खा ही रहा होता।  कसक शायद इतनी सी है ,कि कोई कोशिश ही नहीं की गयी कि रिश्ता बचाया जाए , सबने मान लिया था कि यह रिश्ता आगे चल नहीं सकता।  और परेशानी कोई इतनी बड़ी भी नहीं थी।  इतने differences तो थे ही नही कि सुल्टा ना जाए सके। कुछ तो difference उसने जबरदस्ती बनाए थे, पक्का तो नहीं मालूम पर दिल कहता है , यह सब करके कुछ सुख तो उसने भी नही पाया होगा, तकलीफ तो उसकी जिंदगी में शायद मेरी तकलीफों से ज्यादा ही रही होंगी, फर्क इतना ही है, मैं भावुक होकर अपनी तकलीफ बड़ा लेता हूं,और उसने शायद ही कभी कुछ महसूस किया हो।मुझे अपनी गलतियों का एहसास है, पछतावा है, उसने शायद ही कभी अपनी किसी गलती को स्वीकार किया हो।

उसके चले जाने के निर्णय के  trigger का कुछ तो अंदाजा मुझे है, पर अगर उसने कभी पूछा होता तो मैं बताता, जिस भाई ने मुझे यह कहा हो की उसे मुझे जीजा बोलने में शर्म आती थी, उसके उस भाई को मैं क्या entertain करता। शायद मुझे अपने घर में उसके भाई के साथ rude नहीं होना चाहिए था, और अगर मुझे जरा सा भी अंदाजा होता, कि मेरी एक हरकत से यह नतीजा होगा तो शायद मैं हर बेइज्जती चुपचाप नजरंदाज कर देता।

अब तकलीफ के साथ दिक्कत यही है , कि जब तक कोई तकलीफ  जिंदगी में ना आये तभी तक ही सब ठीक है , एक बार  जो यह आ जाती है , तो बस कभी कम कभी ज्यादा , पर पूरी तरह कभी ख़तम नहीं होती। और अब यह एक तकलीफ आ गई है तो देखें कब तक साथ निभाती है।

शनिवार, नवंबर 19, 2022

जब तुम्हे छू कर,
पिघलने की हसरत में,
जब मैं पिघल कर,
तुममे समा रहा होऊंगा,
तुम ही कहो,
मैं,कितना मैं रह जाऊंगा,
तुम,कितना तुम रह जाओगी।

जब तुम्हे छू कर,
तुम्हे पाने की हसरत में,
जब मैं खुद को खोकर,
तुम्हे पा रहा होऊंगा,
तुम ही कहो,
मैं,
कितना मैं रह जाऊंगा,
और कितना तुम हो जाऊंगा।

जब हमारी हकीकत,
मेरी हसरतों को लहूलुहान
कर रही होगी,
और मैने,
तुमको पाया भी नही,
तुमको खोया भी नहीं,
तुम ही कहो,
तुम भी क्या कुछ खोया खोया,
महसूस कर रही होगी।